Misplaced Love letter
Misplaced Love letter
गुमनाम प्रेम पत्र
मसूद ऐसा व्यक्ति था जिसे हर कोई सराहता था। तीखे नैन-नक्श और शांत स्वभाव वाले मसूद में एक गहरी समझदारी थी, जो उसके दिल्ली स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी के काम में साफ झलकती थी। उसके सहकर्मी अक्सर उससे सलाह लेते थे, और उसकी कविताएं दिलों में ऐसी उतरती थीं कि उन्हें सुनने वाले लंबे समय तक भूल नहीं पाते थे।
मसूद की ज़िंदगी साधारण थी, जब तक कि सोफिया ने ऑफिस में कदम नहीं रखा। वह चुलबुली, आकर्षक और टीम में नई ऊर्जा लेकर आई थी। संयोगवश, ऑफिस में पहले से ही एक और सोफिया थी, जो काफी शांत स्वभाव की थी। "पुरानी सोफिया" और "नई सोफिया" के बीच का अंतर जल्द ही सहकर्मियों के लिए एक मज़ाक बन गया।
एक सुबह, जब मसूद ने अपनी मेज़ की दराज़ से पेन निकालने के लिए खोला, तो उसे एक लिफाफा मिला। उस पर लिखा था: "तुम्हें, मेरे दिल की ख्वाहिश।"
जिज्ञासावश, मसूद ने पत्र खोला। उसमें प्रेम, लालसा और गहरी भावनाएं भरी हुई थीं। शब्द इतने प्रभावशाली थे कि जैसे वे कागज़ से छलक रहे हों:
"मैं तुम्हारे बारे में सोचना बंद नहीं कर सकता। तुमने मुझे बिना किसी कारण के मंत्रमुग्ध कर दिया है। मेरी आत्मा तुम्हारे करीब होने के लिए तड़पती है।"
मसूद का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। पत्र की गहराई ने उसे महसूस कराया जैसे यह उसी के लिए लिखा गया हो। उसके मन में ख्याल आया: क्या यह नई सोफिया की ओर से हो सकता है? आखिरकार, वे कुछ पल साझा कर चुके थे जो दिल को छू लेने वाले थे।
दिन हफ्तों में बदल गए, और मसूद उस पत्र को भूल नहीं पाया। उसने नई सोफिया को उस पत्र की लेखिका के रूप में कल्पना करना शुरू कर दिया। लेकिन उसे डर था कि अगर वह गलत निकला तो क्या होगा।
इसी बीच, मसूद ने उस पत्र से प्रेरणा लेकर खुद की एक कविता लिखी:
"मान लूंगा तुम्हें अपनी तक़दीर से,
तेरी तस्वीर से मन नहीं भरता है।"
उसने यह कविता नई सोफिया की मेज़ की दराज़ में रख दी।
"तुम्हें, मेरे दिल की ख्वाहिश"
"हर बार जब मैं तुम्हें देखता हूं, तो मेरी दुनिया ठहर जाती है।
तुम्हारी मौजूदगी हवा में एक गर्माहट भर देती है, जो मेरी आत्मा तक पहुंचती है।
मैंने बार-बार सही शब्दों को ढूंढने की कोशिश की है,
तुमसे यह बताने के लिए कि तुम मुझे कैसा महसूस कराती हो,
लेकिन शब्द हमेशा कम पड़ जाते हैं।
मैं उन पलों के सपने देखता हूं जो हम साझा कर सकते हैं—
तुम्हारी हंसी मेरे दिल के कोनों में गूंजती है,
तुम्हारी आवाज़ एक मधुर गीत बनकर मेरे बेचैन मन को शांत करती है।
तुमने मुझे बिना वजह मोहित कर लिया है, और मैं तुम्हारे बारे में सोचना बंद नहीं कर सकता।
तुम्हारी दया, तुम्हारी सादगी, और जिस तरह से तुम खुद को संभालती हो—
तुम्हारी हर बात मुझे और करीब खींचती है।
तुम मेरे हर ख्याल, मेरी हर धड़कन का हिस्सा बन गई हो।
अगर मैं कर पाता, तो ये सब तुम्हें सामने आकर कहता।
लेकिन जब मैं तुम्हारी आंखों में देखता हूं, तो मेरी हिम्मत जवाब दे जाती है।
इसलिए मैं लिखता हूं, उम्मीद करता हूं कि तुम इन शब्दों के माध्यम से मेरी भावनाओं की गहराई को महसूस कर सको।
हर पल तुम्हारा,
सोफिया।"
अचानक विदाई
एक दिन, ऑफिस में अचानक खबर फैल गई: नई सोफिया की शादी हो रही थी और वह कंपनी छोड़ रही थी। मसूद टूट गया। उसने सोचा, "वह ऐसा पत्र कैसे लिख सकती है और फिर इतनी जल्दी कैसे जा सकती है?"
उस शाम, विदाई पार्टी के बाद, मसूद भारी मन से घर लौटा।
अगले दिन, पुरानी सोफिया ने मसूद से मुलाकात की। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "मसूद, मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी।"
"हां?" मसूद ने कहा, अभी भी अपने ख्यालों में खोया हुआ।
सोफिया थोड़ी झिझकी, फिर बोली, "मैंने अपनी पुरानी मेज़ की दराज़ में कुछ पाया। यह एक पत्र था, जो मैंने महीनों पहले इमरान, अपने मंगेतर के लिए लिखा था। मुझे लगता है कि हमारी मेज़ें बदलते समय यह गलती से तुम्हारी दराज़ में आ गया होगा।"
मसूद चौंक गया। "मतलब… वह पत्र मेरे लिए नहीं था?"
पुरानी सोफिया की आंखें बड़ी हो गईं। "तुमने वह पढ़ा?"
मसूद ने सिर हिलाया, उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।
सोफिया हल्के से हंस पड़ी। "मुझे इस भ्रम के लिए खेद है। वह इमरान के लिए था, जो अब मेरे पति हैं। मुझे उम्मीद है कि तुमने इसे गलत नहीं समझा।"
अंतिम मोड़
मसूद अभी इस शर्मिंदगी से उबरा ही था कि नई सोफिया ने अपने हनीमून से एक संदेश भेजा। उसने मसूद की कविता पढ़ ली थी और जवाब में लिखा:
"तुम्हारी शायरी की गहराइयों में डूब गई,
पर अफसोस, अब मेरी मंज़िल और है।"
मसूद को एहसास हुआ कि उसके भावनाएं पूरी तरह गलत जगह थीं। वह पत्र, उसकी कल्पनाएं और दिल टूटने का दर्द—यह सब गलतफहमियों का एक सुंदर खेल था।
उस दिन के बाद, मसूद ने अपनी पहली मोहब्बत—शायरी—की ओर रुख किया। इस उलझन भरी कहानी से प्रेरित होकर, उसने एक किताब लिखने की शुरुआत की, जिसमें उसने गलतफहमियों और प्यार की कहानी को शायरी में पिरो दिया।
हालांकि वह पत्र उसके लिए नहीं था, उसने मसूद की ज़िंदगी में एक नई प्रेरणा जगा दी—शब्दों के माध्यम से जीने और प्यार करने का जुनून।
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